"ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥"

Sunday, January 30, 2011

परम सत्य........(राज शिवम)

पहले गण आते है,भक्त आते है,पुत्र आते है तभी जाकर सनातन माता पिता का दर्शन होता है।भैरव प्रसन्न होगे तभी
काली या शक्ति का दर्शन होगा।पुष्पदंत शिव गण ही था जो श्राप के कारण मनुष्य योनि मे आया था,उसने अदभूत शिव भक्ति की परन्तु शिव दर्शन नही हो रहा था,तब गणेश स्तोत्र की रचना की और श्री गणेश दर्शन दिये उसके बाद ही शिव प्रसन्न हुए तभी दर्शन हो पाया।ये ही होता है,पहले हनुमान जी आते है बाद मे सीताराम जी आते है।
श्री राम सीता वियोग मे भटक रहे थे की हनुमान आ गये,भरत वियोग मे तड़प रहे थे की हनुमान जी आ गये।माँ सीता करुण विलाप कर रही थी की हनुमान जी आ गये।विभीषण व्याकुल थे की हनुमान जी आ गये।सुग्रीव बाली के भय से त्राही त्राही कर रहे थे की हनुमान जी आ गये और इस युग मे तुलसी बाबा तड़प रहे थे की हनुमान जी आ गये,मै स्वयं अंतिम जीवन को समाप्त करने जा रहा था की हनुमान जी आ गये।आज करोड़ो भक्त रोते है तो पहले हनुमान या कोई पुत्र भक्त संत आ ही जाते है।पहले हनुमान,गणेश,भैरव,योगनी,मातृका,गण आते है उपासक को देखते है,जाँचते है,परखते है तभी शिव या जगदम्बा या श्री विष्णु का दर्शन होता है,कृपा होता है।सीताराम इस ब्रह्माण्ड के परम तत्व है।वही शिवशक्ति सनातन माता पिता परम ब्रह्म है,सभी एक ही है यही तो परम सत्य है।श्री राम के पीछे सीता खड़ी है और आगे आगे हनुमान जी चलते है।शिव के पीछे माता बग्ला चलती है वही आगे आगे काली चलती है।हनुमान अवतरण सनातन धर्म की रक्षा,भक्तो की रक्षा और राम कथा के लिए ही हुआ है।राम के लिए ये कुछ भी कर सकते है।जब सहस्त्र रावण से युद्ध हो रहा था तो सारी सेना को एक ही बाण मे अपने अपने देश,घर पहुँचा देने वाला सहस्त्र रावण जानता था की शिव अंशात्मक हनुमान भी यहा है,तो मै राम को कैसे परास्त करुँगा।हनुमान जी राम की लीला समझ रहे थे,की यहाँ सीता लीला होने जा रही थी,अब मुझे राम के आगे से हटना पड़ेगा,अब परम शक्ति सीता राम के आगे कालीका रुप धारण करेगी। यह गोपनीय रहस्य है,जो मैंने लिख दिया ,शिवशक्ति लीला में शिव के आगे काली का महा तांडव होगा।सहस्त्र रावण ने बाण मारा राम मुर्छित हो गये ,यह देख सीता रथ से कुद कर काली रुप धारण कर क्षण मात्र में ही सहस्त्र रावण का बध कर दी।सहस्त्र रावण लंका के रावण से हजारों गुणा अधिक बलशाली था। सीता ने काली रुप धारण किया ,क्यों,कारण जब परम ब्रह्म क्रिया रहित होकर तटस्थ हो जाता है तो शक्ति ही सभी क्रिया करती है,यँहा राम को परास्त ,निस्तेज देख काली उग्र होकर विनाश करने लगी तो उनके उग्रता को रोकने के लिए ,शिव को ,उनके रास्ते में निस्तेज ,तटस्थ लेट जाना पड़ा,तभी काली की दृष्टि अपने प्रियतम शिव पर गई और काली का क्रोध जाता रहा,यही तो लीला है,काली ही जगत की मूल शक्ति है। सभी कहीं न कही झुकते है किसी न किसी का ध्यान करते है,परन्तु काली स्वतंत्र महाशक्ति है ये शिव की प्रियतमा है।जब पार्वती से विवाह हुआ,शिव जी,पार्वती को प्रसन्न करने का कई प्रयास करते है,वही पार्वती कितने उग्र तप से शिव को मोह रही है वही काली नृत्य करती है शिव को रिझाने के लिए,कौन है यह काली,जो सीता से काली बन गई।वही काली कभी कृष्ण बन गये।वाह!क्या लीला है।जब सती ने शिव को रोकने के लिए जब दश रुप धारण किया तो प्रथम रुप काली का ही था।सती ने आत्म दाह करने से पूर्व दश रुप प्रकट कर दश महाविद्या कहलायी,जिसमे प्रथम १.काली २.तारा ३.श्री महात्रिपुर सुन्दरी ४.भुवनेश्वरी ५.छिन्नमस्तिका ६.भैरवी ७.धूमावती ८.बगलामुखी ९.मातंगी १०.श्री कमला के नाम से विख्यात हुई,यही जब हिमालय पुत्री पार्वती बन शिव बल्लभा बनी तो ये ही नव दुर्गा रुप धारण करके जगत मे विख्यात हुई।यह ही महाविद्या तत्व है।एक पर शून्य दश निराकार,निर्गूण सभी एक ही है।एक जोड़ नौ यानि दश हो जाता है,यह ही पूर्ण रहस्य है,इसपर कभी लिखूँगा।बिना शक्ति कृपा संसार मे कुछ नही हो सकता,शक्ति के भय से इस ब्रह्माण्ड मे सभी आसुरी प्रवृति वाले थर थर काँपते है,शक्ति का इशारा है,घोषणा है कि शिव की तरफ,राम की तरफ,कृष्ण की ओर भक्त, सज्जन,संतो की ओर टेढ़ी नजर से भी देखोगे तो सिर मुण्डन कर दूँगी,इस जगत मे रहना है तो अपने कर्मो को सही मार्ग पर ले जा,शिव,राम,हरि,सता समझ ये सभी एक ही है।विष्णु मोहिनी रुप बना कर भागते तो शिव सुध बुध खोकर अपनी प्रेममयी लीला का विस्तार किये तो ही हनुमान जी हमारे बीच आ पाये।विष्णु श्याम वर्ण है,वह नारी रुप धारण किये वही काली विष्णु की योगनिद्रा है।कृष्ण के रास मंडल मे शिव भी नारी रुप धारण करते है वही सीता काली रुप धारण करती है।यह सभी परम कृपालु और इनकी यह गोपनीय रहस्य है।जब हम सत्य पथ पर चलेंगे तो पहले गुरु,गणेश, हनुमान.भैरव पहले इनकी कृपा चाहिए तभी सदगुरु,शिव,जगदम्बा,हरि पूर्ण कृपा करेंगे,तभी हमे मोक्ष,ज्ञान तथा ब्रह्म की प्राप्ती होंगी।हम जैसे भी जी रहे है,कोई बात नही परन्तु हमारी चेतना हमे हमेशा उस दिव्य विचारों से अपने कर्मो को सत्य पथ पर ले जाने हेतु हमे हमेशा पथ प्रदर्शक की तरह प्रयत्नशील रखे ये ही हमारा धर्म होना चाहिए।

श्री हनुमत शक्ति मंत्र प्रयोग

हमारे सनातन धर्म मे रुद्रा अवतार हनुमान सदैव विराजमान है,मनुष्य हो या देवी,देवता सभी के कार्य को सम्पन्न करते है हनुमान जी। राम भक्त,दुर्गा भक्त हो या शिव भक्त,सभी मार्गो मे परम सहायक होते है हनुमान। ये शिव अंश भी,शिव पुत्र भी है राम के भक्त भी वही सीता के पुत्र हैं।ये कपि मुख है,वही पंचमुख,सप्तमुख,और ग्यारहमुख धारण करने वाले है।ये सभी जगह सूपूजित है कारण ये संकटमोचन है।माता,पिता के लिए अपने संतान से प्यारा कोई नही होता ,जैसै गौरी पुत्र गणेश है,वही शिवांश देवी पुत्र बटुक भैरव है वही शिवांश राम भक्त हनुमान जी है।
कहा गया है कि बिना गुरु ज्ञान नही होता है वही बिना कुल देवता के कृपा बिना किसी अन्य देव की कृपा प्राप्त नहीं होती है। प्रथम श्री गणेश को स्मरण पूजन किए बिना पूजा प्रारम्भनहीं होता हैं।महाविद्या की साधना करनी हो,वहाँ बिना बटुक कृपा आगे बढ़ना कठिन है।असली माता पिता के पास ये पुत्र ही पहुँचा सकते है,परन्तु अपने इस जीवन के माता पिता की सेवा तथा आदर किए बिना यह संभव ही नहीं है।जीवन के बाधा,संकट का निवारण न हो तो धर्म मार्ग में बढ़ना दुष्कर है।मूर्ति पूजा हो या निंरकार,परन्तु सत्य यही है कि परमात्मा एक हैं,तभी तो कहा गया है कि सत्यम,शिवम, सुन्दरम। सत्य ही शिव है,शिव ही सुन्दर है बाकी सब गौण।एक शिव ही सृष्टि में सत्य है,वही क्रिया शक्ति,चित शक्ति एवं इच्छा शक्ति के रुप में अर्धनारीश्वर है,शिव के बायें भाग में शक्ति हैं,वही शिव के एक रुप है हरि हरात्मक आधा शिव आधा विष्णु,ये शिव की अलग अलग लीला एंव रुप है।शिव सुन्दर है वही उनकी शक्ति सुन्दरी के नाम से विख्यात है,फिर तो शिव के द्वारा रचित श्री रामायण का हनुमत कान्ड को उन्होंने सुन्दर कान्ड का नाम रखा,यह विशेष रहस्यपूर्ण है।सुन्दर कान्ड के प्रत्येक श्लोक का अर्थ समझेगे तो उस शिव के सुन्दर रुप का मर्म समझ में आ जायेगा।सुन्दर कान्ड का पाठ जहाँ होता है सारे अभाव,पाप,रोग विकार स्वतःनष्ट होने लगता है,हमे सिर्फ पूर्ण श्रद्धा से होकर पाठ करना चाहिए।पाठ से पूर्व हमें क्या करना चाहिए यह भी महत्वपूर्ण है। सुन्दर कान्ड मे शिवशक्ति,सीताराम,वरदान,बल,धन,शुभ,दमन,अहंकार का विसर्जन,भक्ति की परकाष्टा,प्रेम,मिलन विश्वास,धैर्य,बौद्धिक विकास क्यों नहीं प्राप्त किया जा सकता हैं।हमारे हनुमान जी वे सत्यम शिव के सुन्दर,लीलाधर हैं,सभी उनके कृपा से प्राप्त हो जाता है।हनुमत उपासना व्यापक है,हर कार्य सुलभ है।प्रथम गुरु,गणेश का पूजन कर राम परिवार ऋषि पूजन कर हनुमत उपासना करने से ही पूर्ण सफलता प्राप्त होती है।मैं हनुमत का विशेष पाठ प्रयोग लिख रहा हूँ,जो चमत्कारिक है और पूर्ण फल प्रदान करनें मे सक्षम । श्री रामायण के प्रथम रचनाकार शिव है फिर ऋषि बाल्मिकी,फिर गोस्वामी तुलसीदास जी है ।मंत्र कवच के ऋषि देवता भिन्न भिन्न है।बजरंग बाण जो प्राप्त होता है वह भी अधुरा हैं।फिर भी लोगों को लाभ मिलता है। एक एक अक्षर शक्ति सम्पन्न है।श्री हनुमान जी शिवांश है परन्तु वैष्णव परिवार से है इस कारण इनके पूजा में मांस,मदिरा,स्त्री भोग वर्जित है।गृहस्थ आश्रम के भक्त इन्हें अधिक प्रिय है परन्तु साधना काल में नियम का पालन अवश्य करे।स्त्री भक्त मासिक धर्म में इनकी साधना न करें।श्री हनुमान चालीसा बहुत प्रभावी एवं प्रचलित हैं, शनिग्रह से प्रभावित हो या राहुकेतु से भूत पिशाच हो या रोग व्याधि नित्य१,३,७,११,२१,३१,५१,१०८ बार पाठ करने से कामना पूर्ण होती है।यह परिक्षित है।श्री शिव पार्वती सहित गणेश नमस्कार कर,सीताराम,सपरिवार का ध्यान कर श्री गोस्वामी तुलसीदास जी को प्रणाम करे,।विशेष लाभ के लिए तिल का तेल और चमेली का तेल मिलाकर लाल बती का दीपक लगा लें,पूर्व,उतर मुख करके थोड़ा गुड़,का लड्डू या किशमिश का प्रसाद अर्पण कर पाठ आरम्भ करें।कुछ विशेष मंत्र का विधि प्रयोग दे रहा हूँ,इससे अवश्य कामना या संकट का निवारण होता है।
१. भयंकर,आपति आने पर हनुमान जी का ध्यान करके रूद्राक्ष माला पर १०८ बार जप करने से कुछ ही दिनों में सब कुछ सामान्य हो जाता है।
मंत्र:-त्वमस्मिन् कार्य निर्वाहे प्रमाणं हरि सतम।
तस्य चिन्तयतो यत्नों दुःख क्षय करो भवेत्॥
२. शत्रु,रोग हो या दरिद्रता,बंधन हो या भय निम्न मंत्र का जप बेजोड़ है,इनसे छुटकारा दिलाने में यह प्रयोग अनूभुत है।नित्य पाँच लौंग,सिनदुर,तुलसी पत्र के साथ अर्पण कर सामान्य मे एक माला,विशेष में पाँच या ग्यारह माला का जप करें।कार्य पूर्ण होने पर १०८बार,गूगूल,तिल धूप,गुड़ का हवन कर लें।आपद काल में मानसिक जप से भी संकट का निवारण होता है।
मंत्र:-मर्कटेश महोत्साह सर्व शोक विनाशनं,शत्रु संहार माम रक्ष श्रियम दापय में प्रभो॥
३. अनेकानेक रोग से भी लोग परेशान रहते है,इस कारण श्री हनुमान जी का तीव्र रोग हर मंत्र का जप करनें,जल,दवा अभिमंत्रित कर पीने से असाध्य रोग भी दूर होता है। तांबा के पात्र में जल भरकर सामने रख श्री हनुमान जी का ध्यान कर मंत्र जप कर जलपान करने से शीघ्र रोग दूर होता है।श्री हनुमान जी का सप्तमुखी ध्यान कर मंत्र जप करें।
मंत्र:-ॐ नमो भगवते सप्त वदनाय षष्ट गोमुखाय,सूर्य रुपाय सर्व रोग हराय मुक्तिदात्रे ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ॥